What is soul ? What is the power of soul ?
What is soul? What is the power of soul?
* The soul is the rest of the divine. -Gita. HINDI TRANSLATION BELOW
*The soul is immortal and imperishable. -Gita.
* The soul is seen by calm, dant, uparat, titishu and samhit (means chatushtya). -Vedanta
-Upanishad (Yama - Nachiketa)
* Not only the existing form of the soul but to achieve the knowledge of the true nature of the spirit is the ultimate goal of enlightenment. -Dr Sarvepalli Radhakrishnan
* Annie, life, persuasion, science, and joyful body. Removing these five curtains is called the power of the soul.
* It is self-proclaiming to keep an emotional on the items that are removed from the eyes and do not flow life towards Akshay joy.
* It is a spiritual practice to work with the spirit of public interest, not giving personal selfishness. - Acharya Pt Shriram Sharma
* Elemental knowledge about God is spiritual knowledge. The passage that is meant for seeking, seeing, and attaining God, i.e practicable, means, cultivation and accomplishment comes under its subject area. -Gita.
* Rajoguna is controlled by posture, by pranayam, by removing sin and pratyahar, removes mental disorders.
* Pride, anger, indigestion and ignorance are the symptoms of men with demonic instincts. Those who are ready for the enjoyment of the material pleasures, they are trying to reach out to the material people unjustly with the help of rage, they are trying to gain access to the wealth of wealth and value. Pooja Archana pretends to gain prestige by pretending. The devilish tendency is for bonding.
- Srimad Bhagavadgita 14 A.
* Should be connected to work today. Who knows if I die tomorrow. No time of death is fixed
* Whose purpose is high. relaxation and every heart should be scared. - Immersion.
जीवात्मा क्या है? आत्मा की शक्ति क्या है?
*आत्मा परमात्मा का अशं है । -गीता ।
*आत्मा अमर और अविनाशी है ।-गीता ।
* शांत , दान्त , उपरत , तितिक्षु और समाहित ( साधन चतुष्ट्य ) द्वारा आत्मा का दर्शन होता है । वेदान्त । आत्मा छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा है वह प्राणी के हृदय गुहा में निवास करता है । जब अपनी सारी कामनाओं को त्याग कर मनुष्य उसकी ओर बढ़ता है तब वह दया करके स्वंय ही अपना परिचय देता है , अपना पट खोलकर सम्ख आ जाता है । अन्य कोई उपाय उसके दर्शन का नहीं है । -उपनिषद् ( यम - नचिकेता )
* मात्र आत्मा का विद्यमान स्वरूप का ही नहीं बल्कि आत्मा का यथार्थ स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना आत्मज्ञान का परम लक्ष्य है । -डॉ ० सर्वपल्ली राधा कृष्णन ।
* अन्नमय , प्राणमय , मनोनय , विज्ञानमय और आनन्दमय शरीर । इन पाँचों पर्दो को हटा देना आत्मा की शक्ति कहलाती है ।
* शीध्र ही आँखों से हट जाने वाली वस्तुओं पर ममता रखना और अक्षय आनन्द की ओर जीवन को प्रवाहित न करना आत्म प्रबंचना है ।
* व्यक्तिगत स्वार्थ की प्रधानता न देते हुए लोकहित की भावना से काम करना आध्यात्मिक साधना है ।
-आचार्य पं ० श्रीराम शर्मा ।
* ईश्वर विषयक तात्विक ज्ञान ही आध्यात्म ज्ञान है । ईश्वर को खोजना , देखना , और प्राप्त करने के लिए किये जाने वाला प्रपास अर्थात् साध्य , साधन , साधना और सिद्धि इसके विषय क्षेत्र के अन्तर्गत आते है। -गीता ।
* आसन व्यायाम नहीं है , बल्कि शरीर व मन को पूर्ण स्वस्थ रखने की यौगिक विधि है शरीर के नस नाड़ी ग्रंथी में दोष से बुरे भाव उत्पन्न होते है । इनके दोष से शरीर में रोग भी होते है । अतः आसन भावों के प्रवाह नियंत्रण एवं स्वास्थय लाभ के लिए आवश्यक है ।
* आसन से रजोगुण नियंत्रित , प्राणयाम से पाप निवृति और प्रत्याहार से मानसिक विकार दूर होते है ।
* दम्भ , घमण्ड , अभिमान , क्रोध , कटोरता और अज्ञान आसुरी प्रवृति वाले पुरुषों के लक्षण होते है । वे विषय भोगों के भोग में तत्पर रहने वाले , काम - क्रोध के परायण होकर विषय भोगों के लिए अन्याय पूर्वक धनादि पदार्थो का सग्रंह करने की चेष्टा करते रहते हैं वे धन और मान के मद से युक्त होकर नाममात्र के यज्ञों द्वारा पाखण्उ से शास्त्र विधि रहित पूजा अर्चना को ढोंग रचकर प्रतिष्ठा प्राप्त करने की कुचेष्टा करते हैं । आसुरी प्रवृति बन्धन के लिए है । -श्रीमदभागवदगीता १६ अ ०
* बदले हुए वक्त और समाज के अनुसार अपना निरंतर आत्म संस्कार करना या स्वय का नये विचारों और जीवंत वातावरण में ढालना आधुनिकता है । - मुशी प्रेमचंद ।
* आज ही काम से जुड़ जाना चाहिए । कौन जानता है कल मरन हो जाय । मृत्यु का कोई समय निश्चित नहीं है
* जिसका उद्देश्य उँचा हो । आरामतलवी और हर दिल अजीजी से खौफ खाना चाहिए । - इर्भसन
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