HATRED
HATRED:
* The madness of our heart is hatred.
* Hatred is the fundamental sin of man.
* Do not hate anyone. Hate the bad luck of individuals and not individuals.
* Hate is the work of the devil. Forgiveness is the religion of man and love is the virtue of deities.
* The greater density is the father of hate.
* Even if intimacy does not cause disgust, but loses its appreciation.
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घृणा:
*हमारे हृदय की पागलपन ही घृणा है ।
*घृणा मनुष्य की मौलिक पाप है ।
* किसी से घृणा मत करो । व्यक्तियो के दुर्गुणों से घृणा करो व्यक्तियों से नहीं ।
* घृणा करना शैतान का कार्य है . क्षमा करना मनुष्य का धर्म हैं तथा प्रेम करना देवताओ के गुण हैं ।
* अधिक घनिळता घृणा की जन्मदातृ है ।
* चाहे घनिष्ठता घृणा उत्पन्न न भी करें किन्तु प्रशंशा को खो बैठता है ।
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