skilled conversation skills (कुशल वार्तालाप का हुनर)
skilled conversation skills
*Have the most interesting topics while interacting with people.
*What is the topic of the world that makes people interested
"Yourself!"
*When you talk to people about them, they get very excited. Your price increases in their eyes.
*When you talk to people only about them, they feel like you are raining lotus petals on them. But when you talk only about yourself, it stings others like a thorn and this thing goes contrary to nature.
*So, in your life book, throw out the words "I, my, only me."
*Choose only one word which sounds very good when spoken with a tongue. That is the word
"you "
*Often we are not effective because we are talking about ourselves. Remember, the importance is not about your thinking or your perception of anyone, the importance is whether your listeners like those things or not. Every person wants him to be understood as "something". This is a very strong part of our Asian mindset. Keep your influence, keep your ego.
*No one would want him to be treated as a "worthless person" . By ignoring someone or trying to make him smaller, you are thinking of him as "worthless person".
*Keep in mind, every person has as much importance in their own eyes as you in your own eyes.
*Tie this truth and that is the key to your success - successful human relationships.
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कुशल वार्तालाप का हुनर
*लोगों से बातचीत करते समय सबसे दिलचस्प विषय लें ।
*दुनिया का वह कौन - सा विषय है जो लोगों में दिलचस्पी पैदा करता है
अपना आप !
*जब आप लोगों से उन्हीं के बारे में बातचीत करते हैं तो वे बेहद उत्साहित हो जाते हैं । उनकी नजरों में आपकी कीमत बढ़ जाती है ।
*जब आप लोगों से केवल उन्हीं के बारे में बात करते हैं तो उन्हें यूं महसूस होता ' है जैसे आप उन पर कमल पंखुड़ियों की बारिश कर रहे हो । लेकिन जब आप केवल अपने ही बारे में बातें करते हैं तो वह औरों को कांटे की तरह चुभता है और यह बात स्वभाव के विपरीत जाती है ।
*तो आप अपनी जिंदगी की किताब में से " मै । , मेरा , सिर्फ मैं ही मैं ' शब्द निकाल फेंकिए ।
*केवल एक शब्द चुनिए जो जुबान से कही जाने पर बहुत अच्छी लगती है । वह शब्द है
"आप "
*अक्सर हम इसलिए कारगर नहीं होते क्योंकि हम अपने ही बारे में बातें कर रहे होते हैं । याद रहे , महत्व आपकी सोच या किसी के बारे में आपकी धारणा का नहीं है , महत्व इस बात का है कि आपके सुननेवालों को वे बातें पसंद हैं या नहीं । हर व्यक्ति चाहता है कि उसे " कुछ " समझा जाए । यह हमारी एशियाई मनोवृति का बहुत जबदस्त हिस्सा है । अपने रसूख को बचाकर रखना , अपने अहम् को बनाए रखना ।
*कोई भी नहीं चाहेगा कि उसे ऐसा - वैसा समझा जाए । किसी की अवहेलना करना या उसे छोटा करने की कोशिश कर आप उसे " ऐसा - वैसा " ही समझ रहे होते हैं ।
*ध्यान रहे , हर व्यक्ति का अपनी निगाह में उतना ही महत्व होता है जितना कि खुद आपका अपनी निगाह में । इस सत्य को गांठ बांध लीजिए और वही आपकी सफलता की कुंजी है - सफल मानवीय संबंधों की ।
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Thanks......
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